रंगे थे तुम्हारे पैर कभी जैसे शाम को रंगते हैं बादल,
चाहा तुम्हें भी दिन रात जैसे चांद के लिए चकोर हो पागल..
वो पल जिनमे तुम साथ थे, और हर शाम सुहानी थी,
बातें खत्म न हो पर वक्त बीत जाती, बड़ी लम्बी कहानी थी..
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