मेरे तुम्हारे संवादों में बहुत छोटा सा किन्तु प्यारा सा
होता है एक क्षण ऐसा,
बंद कलियों के भीतर समाया हो कल आने वाले भंवरे का इंतजार जैसा..
खिलकर फूल वादियों को महकाते हैं खुशबुओं का सौगात दे कर,
हम मुस्कुराते हुए एक दूसरे के आंखों में ठहर जाते हैं नजरें झुका कर..
सहज असहज क्षण होती हैं मगर मन में प्रेम भरी उमंगे भी झूमती हैं,
जैसे हृदय से तुम्हें लगा लेने को व्याकुल धड़कने सीने में मचलती है..
तुम्हारे चेहरे की मुस्कुराहटें भी तितलियों की तरह मेरे मन के फूलों पर बैठ जाती हैं,
लगा कर रंग अपने पंखुड़ियों की मुझे तेरे रंग में रंग जाती हैं..
हर रोज नहीं होती मुलाकातें मगर जहां मिलते हैं हर क्षण वो है विचारों का धरातल जैसा,
मेरे तुम्हारे संवादों में बहुत छोटा सा किन्तु प्यारा सा
होता है एक क्षण ऐसा...
♥️♥️♥️♥️
: -आनन्द प्रभात मिश्रा
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