|| मैने बस तुम्हें देखा || Poem by Anand Prabhat Mishra

|| मैने बस तुम्हें देखा ||

मैने बस तुम्हें देखा
फिर जो देखा सब तुम जैसा देखा
मैंने वर्षों से दर्पण में बस संवरते चेहरे को देखा
मैने पहली बार देखा
जीवन को अंकुरित होते हुए
जब तुम्हारी मुस्कुराहट अपनी आँखों में सजाया
मैने पहली बार देखा
तितलियों, फुलों और बगीचों को मुस्कुराते हुए
यूं तो कई बार सितारों को झिलमिलाते देखा
लेकिन पहली बार देखा चांद को शर्माते हुए
मैने स्वतंत्र भाव को प्रेम की अमृत पीते देखा
मैने देखा पहाड़ियों में झड़ने को गीत सुनाते हुए
मैने जीवन के नशे में झूमते हृदय को देखा
मैने जब-जब तुम्हें देखा फिर सब कुछ
तुम्हारी अनुकृति जैसा हीं देखा
मैने अपने विचारों, व्यवहारों, अनुक्रियाओं सब में देखा
और
मैने बस तुम्हें देखा
फिर जो देखा सब तुम जैसा देखा

Saturday, September 21, 2024
Topic(s) of this poem: hindi
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