|| तुम फूल जैसे हो || Poem by Anand Prabhat Mishra

|| तुम फूल जैसे हो ||

तुम फूल जैसे हो मेरे मन के गुलशन में
मैं तितली जैसी तुम्हारी ख़ुशबुओं में खो जाऊंगी
समेट लेना अपनी पंखुड़ियों को
मैं तुझमें हीं सिमट कर रह जाऊंगी
हर सुबह खिलना तुम नई उम्मीदों के साथ
हर शाम मैं तुझमें हीं आशियाना बनाऊंगी
तुम्हारे प्राग कण से नहा कर
मैं भी तेरे रंग में रंग जाऊंगी
मेरे भी तन से ख़ुशबू महकेगी वादियों में
किस फूल से प्रेम करती हूं, पहचानी जाऊंगी
तुम फूल जैसे हो मेरे मन के गुलशन में
मैं तितली जैसी तुम्हारी ख़ुशबू में खो जाऊंगी

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