विदा किया तुम्हें... Poem by Anand Prabhat Mishra

विदा किया तुम्हें...

Rating: 5.0

और फिर मूंद कर पलकों को
बढ़ाए अपने हाथों को मोड़कर
अंतिम मुस्कान से विदा किया तुम्हें..
एक हंसते मुस्कुराते चेहरे को
उम्मीदों से, खुशियों से रुखसत कर
खुद को ही बेघर किया, जैसे विदा किया तुम्हें..
तुम्हें तुम्हारी स्वतंत्रता प्यारी, तुम सिर्फ मुझको
ऐसी अपनी नाउम्मीदगी को ही यथार्थ कर
स्वीकार किया, हर भाव से विदा किया तुम्हें..
यूं तो जाग कर कई रात संवारा तुम्हारी यादों को
तेरी हर बात भूल कर, एक झूठ खुद से बोल कर
तू मेरा कोई नहीं, ख़ाब से भी विदा किया तुम्हें..
कई सपने सजाएं आशियां बनाकर मन को
तुम्हें क्या दोष दूं नादां, अपनी नासमझी सोच कर
खुद पर कई सवाल किया, और बस विदा किया तुम्हें..
रूठा है मन जरूर मगर तसल्ली भी है मुझको
मैने बस प्रेम किया, एक नासमझ को अपना समझकर
हां वक्त जाया किया, होता है चलो..विदा किया तुम्हें..

: आनन्द प्रभात मिश्रा

Thursday, July 18, 2024
Topic(s) of this poem: hindi,poetry,blind love
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COMMENTS OF THE POEM

Lost love is so painful.. "in order to bid ‘you' farewell, I have become homeless myself" poignant, sad.. but great poetry.5*

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