Saturday, September 21, 2024

|| तुम्हारा प्रेम || Comments

Rating: 0.0

​​​सचित्र कल्पनाओं से परिपूर्ण एकांत मन में
सुंदर छवि का नयनों में उतर आना जैसे
सायंकाल में नदी में झांक कर खुद को संवारता चंद्रमा
उदित होने को तैयार होता हो जैसे..
...
Read full text

Anand Prabhat Mishra
COMMENTS
Close
Error Success