परिवर्तन ही एक मात्र ऐसे जादू कि झप्पी है जिसका कभी बदलाव नहीं हो सकता|
सर्व-प्रथम जब निबंध लेखन के लिए ये विषय सुना तो लगा कि शायद इस विषय पर लिखना कुछ असंभव सा है, क्यूंकि प्लांट के 40 वर्षों के जीवन काल मे मेरा जुड़ाव या यूँ कहें लगाव मात्र ढाई वर्षों का ही है| निबंध के इस विषय पर जब थोड़ी गहराई से मनन किया तो पाया कि इसके किस्से-कहानी सुंनते-सुनाते ही तो हम LPG में बड़े हुए है| इतना तो शायद बीकानेर के बारे में पता नही होगा, जितना अजमेर के बारे में पता है|
मैंने इंडियन ऑयल में अपने सफ़र कि शुरवात 2012 में पानीपत टर्मिनल से कि और उसके उपरान्त 2016 में LPG बीकानेर और फिर 2019 LPG अजमेर आ गया| 2016 में बीकानेर आने के बाद दिसंबर 2016 में पहली बार अजमेर प्लांट के दर्शन हुए और अद्भुद नज़ारे देखने को मिले| ऐसा लगा जैसे ना जाने कहाँ आ गया; सब अपनी दुनिया में मद-मस्त थे, प्लांट का अनलोडिंग शेड का स्प्रिंकलर ऐसे हिल रहा था जैसे अधेड़ उम्र का लंगड़ा व्यक्ति| मैंने सोचा, अगर यहाँ नौकरी करनी पड़ेगी तो सन्यास लेने के अलावा कोई और चारा ही नहीं रहेगा|
मैं मानता हूँ कि अपनी बात रखने के लिए मैंने ऊपर लिखी हुई बातें नमक-मिर्च लगाकर लिखी हैं ताकि पढने वाले का मन लगा रहे; परन्तु ये एक कटु सत्य था, कि प्लांट का माहौल सकारात्कमक नहीं था| इसकी टोपी उसके सर; उसकी टोपी इसके सर - पर टोपी है किसकी, इसके बारे में गुमसुम सा सन्नाटा था|
बात निकली है तो हम खामोश क्यूँ हों
जब खुदा को हो मंज़ूर तो परवाना खामोश क्यूँ हो
अगली मुलाकात अजमेर से मेरी दिसंबर 2017 में हुई लेकिन इस बार हालात कुछ बेहतर थे, या फिर हमारी उम्मीदें कुछ बेहतर थीं| प्लांट को देखकर ऐसा लगता था; जैसे बहुत कुछ हो रहा है लेकिन कुछ हो भी नहीं रहा|
प्रकृति को हमरी दिल्लगी कुछ ज्यादा ही रास आ गयी और हमारी पोस्टिंग अजमेर कि गयी| यहाँ अब ये बात बताना लाज़मी हो जाता है, कि पोस्टिंग से पहले MDT में सेफ्टी इंडेक्स 94.4 आया था, जो पास अंक 95.0 से कुछ कम था| स्कूल-कालेजो में 80 से ऊपर आने पर पूरे मोहल्ले को मिठाई बांटी जाती थी, पर इस बेदर्द ज़माने में 94.4 पर मातम सा माहौल था| खैर, हमारी पोस्टिंग बतौर सुरक्षा अधिकारी के रूप में कि गयी - लेकिन हमारे सरकारी शुभ-चिंतकों को लगता था मानो हमारी पोस्टिंग कसाई-घर में बकरे के रूप में हुई है|
ये कहाँ कि दोस्ती है, कि बने हैं दोस्त नासेह;
कोई चारासाज़ होता, कोई गम-गुसार होता|
लेकिन मैंने भी ये ठाना था कि बकरा घास चर-चर के घोडा बनेगा| मैंने किसी कि एक न सुनी और तय समय पर अजमेर पर जोइनिंग ले ली| सबसे जानदार और शानदार बात ये रही, कि जैसे पाकिस्तान से क्रिकट मैच हारने के बाद टीम में भारी बदलाव किये जाते है; लगभग उसी प्रकार इस संयत्र में कई बदलाव किये गए| मैंने भी सोचा, 'परम्परा, प्रतिस्था, अनुशाशन - ये इस प्लांट के तीन स्तम्भ हैं| ये वो आदर्श हैं जिनसे हम अपना आने वाला कल बनाते हैं|'
घबराइए नहीं! ! !
इतना भी नही सोचा था; सबसे पहला ख्याल तो ‘बनिए' को यही आएगा, कि सारे ‘क्लैम' पहले कर लो; बाद में पता नहीं कि मौका मिले या नहीं|
जैसे-जैसे प्लांट में दिन बीते, मेरे अजमेर कि लिस्ट में जो किस्से-कहानी पहले से शुमार थे, उनमे और इजाफा होने लगा, लेकिन साथ ही साथ प्लांट की कार्य-प्रणाली और प्लांट के हर क्षेत्र मे सुधार होता गया| जिस प्रकार भारत देश में विभिन्न संस्कृतियाँ इतनी अलग-अलग रहने के बाद भी एक ही गुलदस्ते में रहती है, और पूरे विश्व को महकाती हैं; उसी प्रकार अजमेर प्लांट भी इतनी असमानताओं के बाद भी इंडियन ऑयल के मुकुट में किसी कोहिनूर से कम नहीं है|
1989 में बने प्लांट कि शुरवात एक मिनी प्लांट के रूप में 6+3 UFM के साथ हुई थी, और जिस प्रकार एक बालक माँ के गर्भ से आने के बाद अंगड़ाई लेता है और दिन दूनी रात चौगनी तरक्की करता है; उसी प्रकार, अजमेर प्लांट ने भी 6+3 UFM से 3*24 इलेक्ट्रॉनिक कारौसल तक का सफ़र तय किया है| अपने शुरवाती दिनो मे जहाँ इसका छेत्रफल 32 बीघा था, वहाँ आज के दिन 80 बीघा हो चुका है| इसी प्रकार 1989 मे 10 TMT कि क्षमता आज के दिन 180 TMT हो चुकी है| अगर LPG भण्डारण क्षमता कि बात कि जाये, तो अजमेर ने 500 MT से 2000 MT कि छलांग लगाई है, जो आने वाले वर्षो में 4400 MT कि होने वाली है|
अजमेर प्लांट मे आज के दिन 5 केजी,14.2 केजी,19 केजी,47.5 केजी,425 केजी के स्टील सिलिंडर; स्पैशलिटी प्रॉडक्ट जैसे एक्स्ट्रातेज और नैनोकट; निकट भविष्य मे नए जमाने के कोम्पोसीट सिलिंडर 5 केजी और 10 केजी भी बाज़ार मे आने वाले हैं| LPG के छेत्र मे नए भारत कि नयी क्रांति के लिए अजमेर का योगदान सराहनीय है| इसके अतिरिक्त सुरक्षा एवं मैंटेनेंस के क्षेत्र मे भी अजमेर प्लांट का नाम भारत मे प्लांटों मे गर्व के साथ लिया जाता है|
अपने 40 वर्षों के इस जीवन काल में इसने भी अनेक उतार-चढाव देखे होंगे जिनमे से 2019-से अबतक के सफ़र में मुझे साक्षात् भागीदारी का सौभाग्य प्राप्त हुआ|
इन ढाई वर्षों में जहाँ मुझे पदोन्नति का सुख प्राप्त हुआ, वहीं इसी वर्ष BPCL के खालसा पेट्रोल पम्प में हुए भीषण हादसे में हमने अपने करीबियों को खोया जिनकी भरपाई संसार को कोई सुख नहीं कर सकता| इसके अतिरिक्त, कुछ बाहरी व्यक्तियों ने निजी स्वार्थ के लिए राजनीतिक रोटियों भी सेकीं|
शहर में खामोशी छायी रही,
शोर मचने वाले नहीं रहे|
हुक्म-मरान चाल-ए-बिसात सोचते है,
गम करने वाले नहीं रहे|
ऐसा लगता था, जैसे ये मंज़र कभी खत्म ही नही होगा - लेकिन गिर के उठाना, संभालना और निरंतर चलते रहना ही तो जीवन है|
बोलो टूटे तारों पर, कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गयी सो बात गयी
इसी तरह से ना जाने कितने और उतार-चढाव प्लांट के और उनसे जुड़े लोगों के जीवन में आये होंगे या फिर आयेंगे; लेकिन निरंतर विषम परिस्तिथियों से लड़ना ही तो जीवन को परिभाषित करता है| मैं इसी आशा के साथ अपने वार्तालाप को समाप्त करता हूँ कि हम सब का निजी जीवन, व्यावसायिक जीवन और प्लांट का जीवन खुशहाली से भरा रहे|
उसे गुमान है कि मेरी उड़ान कुछ कम है,
मुझे यकीन है कि ये आसमान कुछ कम है|
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem