Accha To Tha अच्छा तो था Poem by Alok Agarwal

Accha To Tha अच्छा तो था

अच्छा तो था
गर्भाशय में गोते लगाना
हिलना-डुलना
आप दोनों कि गुप-चुप बातें सुनना
आपका रूठना, उनका मनाना
वक़्त-बेवक्त का सोना, जागना और जगाना
कोरी कल्पनाएँ सजोना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम बड़े हो गए

अच्छा तो था
मेरा प्यारा बिस्तर सलोना
डुग-डुग कर झूलना
वो आपका गोदी लेना,
मेरे से फ़ालतू कि तोतली बातें करना
कभी गिनती और कभी वर्ण-माला सिखाना
चलने कि कोशिश करना
गिरना, पड़ना और फिर संभालना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम बड़े हो गए

अच्छा तो था
वो मेरा उधम मचाना
सारा घर सर पर उठाना
बिना बात के मचलना
दूसरों के खिलौनों पे उछलना
किताबों से दोस्ती और दोस्तों से झगड़ना
हर दम कुछ नया सीखना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम बड़े हो गए


अच्छा तो था
बेख़ौफ़ विचरना
नव क्रांति में योगदान देना
मौसम मस्ताना प्यार दीवाना
आवारगी पागलपन में नाचना और नचाना
सामाजिक कुरूतियों का विद्रोह करना
विचारों का भिड़ना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम बड़े हो गए

अच्छा तो था
पैसे कमाना
शादी करना
बच्चे पैदा करना
उनका हास्य-क्रुन्दन देखकर आनंद-मय होना
ऑफिस का याराना
घरोंदे को पलना- पोसना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम बड़े हो गए

अच्छा तो था
बच्चों का स्कूल जाना
मेरे ऑफिस का अफ़साना
गृहणी का बात-बात पर गुर्राना
ताने देना, सुनना- सुनाना
सूरज और चाँद का चमकना
तारों का टीम-टिमटिमाना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम बड़े हो गए

अच्छा तो था
बच्चों का लड़कपन मर्दाना
मेरा उनको डांटना-डपटना
फिर प्यार से समझाना
बालों पे छुप-छुप के रंग पोतना
सेहत कि नसिहयेतें सुनना
नए ज़माने को कोसना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम बड़े हो गए

अच्छा तो था
नौकरी से रिटायर होना
बच्चों कि शादी कि सालगिरह मनाना
फिर सोचना
समय का इतनी जल्दी बीतना
ख्वाब और हकीकत में फर्क ढूँढना
बिना बात के हँसना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम बड़े हो गए

अच्छा तो था
कतरे का समंदर से मिलना
मौजों का किनारे से टकरना
मिट्टी से मिलकर नया गुलाब खिलाना
खुसबू का यूँ बिखरना
जैसे आशिकों का मिलना
बिछड़ना और फिर मिलना
सब मस्त चल रहा था, फिर हम आबाद हो गए

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