A-050. कभी तुम हमारे घर Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-050. कभी तुम हमारे घर

कभी तुम हमारे घर 15.8.16—8.08AM

कभी तुम हमारे घर
कभी हम तुम्हारे घर
आया जाया करेंगे
कभी तुम चाय पिलाना कभी हम पिलाया करेंगे

क्या हुआ जो हम जुदा हो गए
कभी कभी अफसाने भी सुनाया करेंगे

लड़ते झगड़ते इतनी दूर निकल आये हैं
कभी कभी दोस्त भी बन जाया करेंगे

दर्द का एहसास जितना भी गहरा हो
मलहम भी कभी कभी लगाया करेंगे

आँखों में आंसूओं का समुन्द्र रहे तो रहे
फिर भी कभी कभी मुस्कराया करेंगे

यादों की लम्बी कतार हो तो क्या
कुछ लम्हें गीतों संग भी बिताया करेंगे

गीले शिकवे तो पहले भी हुआ करते थे
अब कुछ नए तरीके से निपटाया करेंगे

जिंदगी के चन्द खूबसूरत पलों के समेटे
कभी कभी गले भी लग जाया करेंगे

हम इतने बुरे तो अब भी नहीं हैं
जब भी बुलाओगे हम भी आ जाया करेंगे

Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'

A-050. कभी तुम हमारे घर
Monday, August 15, 2016
Topic(s) of this poem: friendship,love and friendship,motivational,relationships
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success