जब मैंने बोला I love You 10.8.16—7.53AM
जब मैंने बोला I love You
तो पता लगा कि मैं झूठ बोल रहा हूँ
झूठ बोलने की इस रवायत को
मैं खुद ही तौल रहा हूँ
प्यार तो कभी किया ही नहीं
सिर्फ जज्बातों को फरोल रहा हूँ
इस शब्द का अर्थ कभी जाना ही नहीं
फिर यह झूठ क्यों बोल रहा हूँ
प्यार तो सोनी महिवाल ने किया था
हीर और राँझा ने किया था
जिंदगी बद से बदत्तर हुई
और स्वीकार किया था
सौ मुसीबतें सर पे आयी
फिर भी इकरार किया था
मौत का खंझर भी उनको रोक न सका
ऐसे अपने प्यार को स्वीकार किया था
हमने सुन्दर नार क्या देखी
I love you का बोर्ड लगा दिया
एक दिन तकरार क्या हुई
बस बोर्ड हटा दिया
फिर ढूँढ़ते रहे रिश्ते Sorry के बहाने से
अभिप्राय तो शरीर को पाना था
बाकी तो सब झूठ बहाना था
इस छिछोरेपन को तुम प्यार कहते हो
शर्म भी नहीं आती जब इजहार करते हो
कैसे भद्र महापुरुष हो तुम
जीवन का संघार करते हो
और कहते हो कि तुम प्यार करते हो
प्यार एक अदब है
धर्म का दूजा नाम है
करीब न रहकर भी
करीब रहना उसका काम है
प्यार करने की अवस्था नहीं
कुछ होने का नाम है
जहाँ कोई अपेक्षा नहीं
किसी का हो जाना ही अंजाम है
Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'
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