क्या फर्क पड़ता है 19.12.15—6.42 AM
क्या फर्क पड़ता है……….
कि तुम कितने महान हो
कि तुम कितने गुणवान हो
कि तुम कितने धनवान हो
कि तुम कितने पहलवान हो
कि तुम कितने कृपालू हो
कि तुम कितने दयालू हो
कि तुम संत हो कि महात्मा हो
फर्क पड़ता है……….
जब किसी के मुख का निवाला बनोगे
जब किसी लाचार का शिवाला बनोगे
किसी के लिए तुम जहमत उठाओगे
जब किसी की तुम पत रख पाओगे
जब किसी का दर्द समझ पाओगे
जब किसी को वाकई सुन पाओगे
अपनी एक पहचान बना पाओगे
पहचान को उपलब्ध हो जायोगे
जब तुम किसी को समझ पाओगे
जब तुम किसी को अपना बनाओगे
अपने दिल की बात कह पाओगे
तुम किसी के आँसू पोछ पाओगे
अपनी कुछ शिकायतें छोड़ पाओगे
जब दुश्मन को भी गले लगाओगे
तब कहीं एक नयी संभावना होगी
संभावना की एक नयी उड़ान होगी
सारा जहाँ अपना होगा हर चेहरे पे 'पाली' मुस्कान होगी
हर चेहरे पे 'पाली' मुस्कान होगी
Poet; Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'
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I would like to translate this poem
beautiful poem coming out of heart. keep it alive in you..........