आज तेरी बहुत याद आयी री
तेरी रुख़सत ने दी तन्हाई री
तेरे जीने में मैं जीना ढूंढ़ता रहा
अब किसकी पकडूं मैं कलाई री
किन गलियों में जाऊँ ढूँढूं मैं तुझे
हर गली में दिखे अपनी परछाईं री
आजा सजनी और न सता मुझको
सही न जाये मुझसे तेरी विदाई री
आँखों के नीर मोती बन आये हैं
तेरी यादों ने बजाई ख़ूब शहनाई री
एक एक पल यूँ गुज़रा इनके संग
जैसे इन्हीं से हुई हो मेरी सगाई री
तेरे ज़हन में छिपा है दिल मेरा
यह बात तुमने सबसे छुपाई री
तू भी अकेली कैसे रह पाएगी
फिर यह बात कैसे बन आयी री
ख़ुद को ख़ुद से छिपाती होगी
छिपाती होगी अपनी तन्हाई री
दिल मेरा भी तो धड़कता होगा
तुमने कैसे की इनकी अगवाई री
याद तो तुम्हें भी आते होंगे वो पल
तुमने भी तो बजाई थी शहनाई री
मैं भी तो उन्हीं को संजोए बैठा हूँ
कैसे की होगी हमारी रुस्वाई री
आज तेरी याद बहुत आयी री
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