A-026. एक वजह दे दो Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-026. एक वजह दे दो

एक वजह दे दो 28.6.16—7.35 AM

एक वजह दे दो
अँखिओं से अँखियाँ मिलाने की
मुझे देखकर शर्मा जाने की
दूर खड़ी रहकर मुस्कुराने की
खुद बहकने की मुझे बहकाने की
मेरे करीब आकर गले लग जाने की
आलिंगन बद्ध होकर दिल का हाल बताने की
कुछ मेरी सुनकर कुछ अपनी सुनाने की
कभी करीब आने की कभी दूर जाने की
हाथों में हाथ लेकर फिर उसको छुड़ाने की
हँसते खेलते साथ देकर फिर रूठ जाने की
प्यारी प्यारी बातें कर अँखियों में पानी लाने की
पहले खुद रूठ जाना फिर मुझको मनाने की
रिश्तों में रहकर भी नए रिश्ते बनाने की
रिश्ते निभाकर फिर भी छोड़ जाने की
आँखों में समाकर ओझिल हो जाने की
एक वजह दे दो इस कदर पेश आने की
………………..इस कदर पेश आने की

Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'

A-026. एक वजह दे दो
Tuesday, June 28, 2016
Topic(s) of this poem: love and friendship,love and life
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