A-025. मेरे आने से Poem by Amrit Pal Singh Gogia

A-025. मेरे आने से

मेरे आने से 04.09.2016—2.30 PM

मेरे आने से क्या हो गया है
कैसे यह बवाल हो गया है
मैंने किया ही क्या है जानम
वक़्त एक सवाल हो गया है

मैं नहीं था
तब भी दुनिया चल रही थी
मैं अब हूँ तब भी चल रही है
चला जायूँगा तब भी चलेगी
हर दरार भी खुद ही सिलेगी

फिर किस बात पे अड़ा हूँ
किसी भ्रम के संग जुड़ा हूँ
किस का अहम करता हूँ
क्यूँ नहीं किसी से डरता हूँ

कोई पास आता क्यूँ नहीं
कोई समझाता क्यूँ नहीं है
सारा हादसा मेरे आने से हुआ
ये तमाशा मेरे कतराने से हुआ

जिम्मेवारी समझ आने लगी है
बात सारी मर जाने से जुडी है
तेरी साथ रहने में जो शकून है
सुनने और निभाने से जुडी है…..

सुनने और निभाने से जुडी है…..

Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'

A-025. मेरे आने से
Sunday, September 4, 2016
Topic(s) of this poem: relationship,responsibility,love and friendship,motivational
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