आँखों में छुपा लो 31.7.16—9.35AM
आँखों में छुपा लो मुझे कजरा बना के
रह लेंगे सारी उमर तेरे नयनों में आ के
कभी हम तेरे चेहरे की पहचान होंगे
कभी जानम हम तेरे पे एहसान होंगे
कभी लोग जानेंगे तुझे मेरे नाम से
कभी लोग जानेंगे तुझे मेरे काम से
सज के जब मैं तेरे पलकों पे आऊँगा
मेरा अपना अदब होगा मैं इठलाऊँगा
तेरे हर दर्द में भी तेरा साथ निभाऊँगा
तेरे नीर बहने से पहले मैं बह जायूँगा
हर ख़ुशी में मैं तेरी ख़ुशी बन जाऊंगा
तूँ मुस्करा कर देख मैं भी मुस्कराऊँगा
मुझे तुमसे है प्यार कितना मैं बताऊँगा
तेरी आँखों में रह तेरा साथ निभाऊँगा
जिंदगी के भी अद्भुत नज़ारे होंगे
तुम हमारे कभी हम तुम्हारे होंगे
न कोई बहाना होगा न सहारे होंगे
पूरे तुम्हारे वरना एक किनारे होंगे
कल सुबह के अपने ही नज़ारे होंगे
जब तूँ उठे हम हो चुके तुम्हारे होंगे
आँखों आँखों में चल रहे इशारे होंगे
साथ साथ होंगे पर दोनों कुँवारे होंगे
…………………पर दोनों कुँवारे होंगे
Poet: Amrit Pal Singh Gogia 'Pali'
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