एक बार तो सपने हम ने भी संजोए थे
एक बार तो सपने हम ने भी संजोए थे। सः 2013 में जब मेरी पोती सुमित गोगिया ने अपनी पहली कविता संग्रह 'ख्वाहिश' का विमोचन किया था। तब मैंने बहुत लम्बे अरसे के बाद कविता की चन्द लाइनें लिखी जो कि 42 सालों के बाद एक नयी शुरुआत थी। जिसके फलस्वरूप मेरी पहली कविता संग्रह आज आपके सामने है।
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