ना मै उसका भाग्यविधाता, ना मै उसका प्रेम प्रणेता,
ना विचलित उसकी यादों से, ना उसको अपना ह्रदय मैं देता,
फिर भी क्यूँ वो नजर बिछाए, मेरी रहें तकती है,
कब आ कर अपना लूँगा, ये सोच सोच के सजती है,
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