प्रेम की उत्कटता इस कविता में शुरू से आख़िर तक नज़र आती है लेकिन साथ ही लड़कपन का कच्चापन भी झलकता है.
वो एक पगली अनजानी-सी, जो प्यार उसीसे करती थी,
थी दिल की कमज़ोर बहुत वो, इज़हार करने से डरती थी I
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प्रेम की उत्कटता इस कविता में शुरू से आख़िर तक नज़र आती है लेकिन साथ ही लड़कपन का कच्चापन भी झलकता है. वो एक पगली अनजानी-सी, जो प्यार उसीसे करती थी, थी दिल की कमज़ोर बहुत वो, इज़हार करने से डरती थी I
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