तु मुझे छोड दे मेरे अपने हाल पर Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

तु मुझे छोड दे मेरे अपने हाल पर

तु मुझे छोड दे, मेरे अपने हाल पर
मेरी नज़र हर नया, गीत लेकर आती है

मौत का जिक्र है, जिंदगी के नाम पर
मेरी गज़ल पर नया, संगीत लेकर आती है

चार दिन की चाह में, उम्र कट जाती है यु
देखते ही देखते, ताउम्र मिट जाती है यु
मेरी खबर घर नया, मंजीत लेकर आती है

कौन क्या है, क्या नहीं, मै भला क्यु हाँ भरु
मेरी अपनी फिक्र में है, चांद सी ये आबरु
मेरी डगर दर नया, रंजीत लेकर आती है

बोल ना, क्या बात है, क्या तुझे लगता नहीं
मै तुझे आँख भर, देखे बिना रहता नहीं
मेरी शकल अगर नया, मित लेकर आती है

Tuesday, December 30, 2014
Topic(s) of this poem: love
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