तेरा दिल मेरा दिल Poem by Dr. Ravipal Bharshankar

तेरा दिल मेरा दिल

तेरा दिल मेरा दिल, जुदा जुदा सीने में
तुझे क्या कहुँ अकेले में, मेला सा लगा है जीने में ||धृ||

दूर से देंखो हरीयाली को, गहराई बद काली है
कालिख कहते है रवि पर, लेकिन आभा लाली है
लाली मेरी जलजली, तु शितल शबनमी जलपरी
तुझे क्या कहुँ अकेले में, मेला सा लगा है जीने में ||१||

झंझा सा घीर घीर आता है, और बहा ले जाता है
कपोत भला जैसे कोई, उक़ाब उडा ले जाता है
गुमनाम मेरी जिंदगी, तु चूनी चादर मखमली
तुझे क्या कहुँ अकेले में, मेला सा लगा है जीने में ||२||

Tuesday, December 30, 2014
Topic(s) of this poem: love
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