Tuesday, December 30, 2014

प्यारी गुडीया Comments

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ऊचु चूचु सोनी चिड़ीया,
ऊलु लूलु प्यारी गुड़ीया
तेरे मन का भेद मै जानू,
जानु जानीया, जानु जानीया
...
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Dr. Ravipal Bharshankar
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Rajnish Manga 30 December 2014

एक अविस्मरणीय कविता. हिंदी साहित्य में इस प्रकार के बाल गीत कम लिखे जाते हैं. इस उत्कृष्ट रचना के लिए मेरा धन्यवाद स्वीकार करें, डॉ. रविपाल जी.

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