Monday, December 29, 2014

अमीबा से ह्युमन तक Comments

Rating: 5.0

तुम एक बाप की औलाद नहीं हो
तुम कुछ भी कहो
और तुम्हारी मां की गवाही नहीं चलती
अनेक दु: ख अदल आए हो तुम
...
Read full text

Dr. Ravipal Bharshankar
COMMENTS
Rajnish Manga 29 December 2014

मानव मानव के बीच में दिखाई देने वाला अंतर मानव जाति के आरम्भ से ही विद्यमान है. हर युग में युद्ध, हिंसा और द्वेष की प्रवृत्तियाँ देखने को मिलती हैं. गुरू, ज्ञान और विवेक के बावजूद मानव प्रकृति में ठहराव नहीं आया. मैं समझता हूँ कि आपकी कविता में प्रकारांतर से यही विवेचन पाठकों के विचारार्थ रखा गया है. इस सुंदर कविता के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, डॉ साहब.

0 0 Reply
Close
Error Success