इश्के रसूल/ 
इश्के खुदा, इश्के रसूल, 
मेरा वसूल-मेरा वसूल, 
मेरा वसूल-मेरा वसूल/
खाक में मिलने वालो सोंचो, 
क्या है वजूद-क्या है वजूद//
क्यों आए इस धरा पे हम, 
सोंचो कर लो आंखे नम, 
खिदमते खल्क, बड़ा हुनर, 
होगा देखो दुआ कबूल//
इश्के खुदा, इश्के रसूल, 
मेरा वसूल, मेरा वसूल.....
‘दीन और दुनिया' के रहबर, 
रुक गए  क्यों भला यूँ रहपर, 
सीधी रह पर चलें अब हम, 
फिर बरसेंगे हम पर फूल//
इश्के खुदा, इश्के रसूल, 
मेरा वसूल, मेरा वसूल, //.....
आफ़ताब आलम'दरवेश'                
Jazak Allah, yeh muhabbat raigan nahin jaye gi, Insha Allah.
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Allah kare, Ishqe khuda, Ishqe rasool banjai har insann ka wasool, Ameen thanks for sharing :)