कहती हैं दुनियां ऐसे चलाजा,
कहती हैं दुनियां वैसे चलाजा.
ये समझती हैं हमको
फिकर नहीं हैं; मेहनत में कम हैं; आवारा हम हैं
इनकी शिकायत; पढ़ते नहीं हैं
पैसा इज्जत नाम शोहरत
रस्ते पे पड़ी हैं; उठाते नहीं हैं
कहती हैं दुनियां..
चाहते ये सभी हैं
कर दे हम पूरे; इनके अधूरे; अरमां सारे
हम पे चलाये ऐसे हुकुमत
जैसे किस्मत इनकी लुगाई
मंजिल हमारी इनकी बनाई
नज़र में इनकी हमें चाहत नहीं हैं
कहती हैं दुनियां..
जानते ये सभी हैं
बेकार हम हैं; रिश्वत की दुनियां के; शिकार हम हैं
जेब से कडके; काम को तडपे
किमत हमारी दुनियां न जाने
घर पर भी मिलते हैं; हर रोज ताने
वक्त हमें ये मंजूर नहीं हैं
कहती हैं दुनियां..
हर इक ठोकर से दुनियां; तु हमें आजमा ले
तेरे जवाबों में हम भी; बनकर दिखाएंगे शोले
बनके अंगारे; बनके सितारे
कहेंगे दुनियां को; देख नज़ारे
माँ तेरी उल्फत; तेरी नसीहत
बनाके मंजिल हम चलेंगे
कहती हैं दुनियां..
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