Saturday, November 3, 2012

जिन्दगी एक हादसा Comments

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वक़्त की करवट की संग में भी पलट कर रह गया।
मेरा साया मेरे क़दमों से लिपटकर रह गया।
आंसुओं की धार बनकर बह चला मेरा वजूद,
कल का समुन्दर आज क़तरों में सिमटकर रह गया।
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Sushil Kumar
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Sushil Kumar

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Bulandshahr
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