Saturday, September 14, 2019

दो मूह वाली चिड़िया Comments

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अंतर्द्वन से उपजी मन मे एक व्यथा| क्या बताएं, किसको बताएं, सोच रही थी चिड़िया| थे उस चिड़िया के दो सिर और दो दिमाग, दोनों की थी सोच अलग|

वन मे विचरते-विचरते उसने देखा की एक शेर एक हिरण का शिकार कर रहा है| हिरण दर्द से कराह रहा है, उसके प्राण देखते ही देखते चले गए| लाज न आई उस शेर को| उसने मार दिया निरपराध जानवर को| संसार की ये कैसी रचना की भगवान ने| शेर की भूख भी मिटानी है और हिरण की भी जान बचनी है, ऐसी युक्ति सोचने मे विवश हो ज्ञी दो मुखी चिड़िया|
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Alok Agarwal
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Allahabad
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