Sunday, October 14, 2012

कबीरदास कलयुगी - १ Comments

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मैं माँगा प्रभु आपसे, मैं न जागूँ और,
ना भागूं धन लोभ में, भूल चैन का कौर.
दिया मगर प्रभु आपने जागन का अभिशाप,
काहे करो विवश तुम प्रभु, कि मैं करूँ कुछ पाप.
...
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Sujeet Kumar Vishwakarma
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