हँसी Poem by Poonam Mehta

हँसी

चेहरे पे इतनी सजती है,
फिर भी ये कहाँ दिखती है।

बुलाओ तो भी कहाँ आती है,
जाने ये कहाँ खो जाती है ।

ग़म को देखो हमेशा ही सजा रहता है,
बिना बोले ही साथ निभाता चला जाता है ।

इसका और मेरा चोली दामन का नाता है.
इक जाता नहीं कि दूजा चला आता है।

यूँही सोचता हूँ मैं कि कब वो आयेगी,
होठो पे मेरे खिलखिलाएगी।

या फिर ये ज़िन्दगी अमावस
सी यूँ ही बीत जाएगी।

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