Saturday, March 8, 2014

माँ याद बहुत आती हो Comments

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माँ याद बहुत आती हो।

मैं छोटा था,
सुबह सवेरे नींद में लेटा रहता था,
...
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Brajendra Nath Mishra
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Ajay Kumar Adarsh 07 August 2016

बहुत ही सजीव व सार्थक कविता............ विल्कुल हि नवीन संदेश है युवा पिढी को.... {मैं तो पढता रहा, संवेगो को तर्कों पर गढ़ता रहा, } {तेरे बचपन में जिसमे दूध भरा रहता था, उसमें अब खारापन अधिक, मिठास तो कम रहता था। तूने उसके जीवन को ब्यथित कर दिया, जीवन जिसने जिया तेरे लिए, उसे उल्लास से रहित कर दिया।'}

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Brajendra Nath Mishra

Brajendra Nath Mishra

Gaya, India
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