बहुत ही सजीव व सार्थक कविता............
विल्कुल हि नवीन संदेश है युवा पिढी को....
{मैं तो पढता रहा,
संवेगो को तर्कों पर गढ़ता रहा, }
{तेरे बचपन में जिसमे दूध भरा रहता था,
उसमें अब खारापन अधिक,
मिठास तो कम रहता था।
तूने उसके जीवन को ब्यथित कर दिया,
जीवन जिसने जिया तेरे लिए,
उसे उल्लास से रहित कर दिया।'}
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बहुत ही सजीव व सार्थक कविता............ विल्कुल हि नवीन संदेश है युवा पिढी को.... {मैं तो पढता रहा, संवेगो को तर्कों पर गढ़ता रहा, } {तेरे बचपन में जिसमे दूध भरा रहता था, उसमें अब खारापन अधिक, मिठास तो कम रहता था। तूने उसके जीवन को ब्यथित कर दिया, जीवन जिसने जिया तेरे लिए, उसे उल्लास से रहित कर दिया।'}