Tuesday, August 18, 2020

आ फिर ठहर जायें Comments

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आ फिर ठहर जायें

उस सुनहरी शाम पर
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Kezia Kezia
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M Asim Nehal 22 August 2020

आपकी कविताओं में ज़िन्दगी की सच्चाई छुपी होती है, आपकी बात दिल से दिल तक पहुँचती है, ये कलम का जादू नहीं तो और की है. ढेरों दाद, बहुत बधाईयां 100++

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Rajnish Manga 18 August 2020

एक दार्शनिक गंध को ले कर चलती थमती बेहतरीन काव्य अभिव्यक्ति. जब कोई चाय की चुस्कियों के बीच किसी के सामने अपने शिकवे शिकायत के लिए भी जगह निकाल लेता है तो समझ लें कि जिंदगी में नयी शुरुआत के लिए भी कदम बढ़ा सकता है. Thank you so much.

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Sharad Bhatia 18 August 2020

बहुत ही उम्दा और बहुत बेहतरीन कविता. आओ बैठे कुछ देर, सिर्फ कुछ देर, " आओ बैठे कुछ देर, सिर्फ कुछ देर, जिंदगी को भी अपने साथ बिठाए, कुछ देर सिर्फ कुछ देर।। उन लम्हों को याद कर जाये, जो तेरे मेरे दरम्यान थे, कुछ देर, सिर्फ कुछ देर।। जो तुझे मुझे सकूं दे जाये, कुछ देर सिर्फ कुछ देर ।। जानता हूँ, अब वक़्त भी नहीं देगा साथ, फिर भी आओ बैठे कुछ देर, सिर्फ कुछ देर ।। एक प्यारा सा एहसास मेरी नन्ही कलम से (शरद भाटिया) आभार

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