पोस्टर जो बन गया अखबार देखिये.
देखिये कलम का कारोबार देखिये.
आँखों पे काले चश्में तन से खिसकते कपडे.
मैडमों का अब नया अवतार देखिये.
नज़रें शरम से झुकती थीं देख जो नज़ारे.
सडकों पे वही सीन बार-बार देखिये.
जाने कहाँ गए अब वो कलम के सिपाही.
लेखनी में घुस गया बाज़ार देखिये.
आदमी को आदमी कैसे कहें ‘सुमन'.
वो कर रहा है मौत का व्यापार देखिये.
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