रंगों की भाषा Poem by Veer Dhiman

रंगों की भाषा

काला रंग मिथ्या से भरा
और शाही रंगों में उभरा
रंग सफ़ेद सच को बोले
शाही रंग में फीकापन घोले

रंग हरा हरियाली है हर्षाती
नीले नभ से वर्षा आती
रंग लाल आतंक का होता
कभी ये रंग इश्क़ संझोता

रंग पीला दोस्ती में डुबोए
भूरी धरा पर बीज बोए
रंग नारंगी बलिदान का होता
गुलाबी रंग शर्म से शर्माता

रंग नीर का शून्य बराबर
इंद्रधनुष में सात, एक बराबर
सबके मन में हर्ष घोलें
रंग सभी का सत्य-रत बोलें

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