गायब उदासियाँ Poem by Dr. Yogesh Sharma

गायब उदासियाँ

अरसे से छाई जिंदगी में परेशानियाँ,
सारे जगत में फैल गईं उदासियाँ ।

रौनक गायब हुई जब था खौफ तेरा,
तेरे डर से छाई हवा मै उदासियाँ ।

कोरोना था हम-क़दम और दुष्वारियॉं,
तो थी राह मै डरावनी उदासियाँ ।

तेरे रहते बहुतेरे खुश भी थे,
शैतान फेल्चिओं से दूर थी उदासियाँ ।

आनलाइन खुदा के रहमो करम से,
खेल गयीं- झूम गयीं बहकी उदासियाँ ।

ओबीएम खुदा के प्यार के असर से,
फेकचियौं से डर कर भागी उदासियाँ ।

उदासियों में भी कुछ को ख़ुशी का सबब मिला,
नकलचियौं के सामने सहमीं उदासियाँ ।

अफीमचियौं के हक़ में हाथ उठे लाख हाथ,
चिलम्चियौं की दुआ के असर से डरीं उदासियाँ

सौ में से सौ नम्बर की खुश्बु आई
नम्बरों की इलायची से हूईं गायब उदासियाँ ।

गायब उदासियाँ
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