माँ आपकी बहुत याद आती है
जब भी मैं पहले घबरा जाती थी, तो मां आप मुझे अपने गले लगा लेती थी,
अब जब भी मैं परेशान होती हूँ, तो अकेले एक कोने में बैठ के खूब सारा रो लेती हूँ,
माँ क्यों अपने मन की बात आप से नहीं कर पाती हूँ
...
Read full text
एक बेटी को अपनी मां के स्वरुप में बहुत कुछ सहज ही मिल जाता है- एक साथी, एक सहेली, एक गुरू, एक सहारा तथा और भी बहुत कुछ जिसे पाकर वह स्वयं को धन्य समझती है. लेकिन अपनी मां से जुदा हो कर वह खुद को एकाकी महसूस करती है और उस खालीपन से उबर नहीं पाती. मां के प्रति बेटी के सूक्ष्मतम भावों को समेटे इस रचना के लिए धन्यवाद व बधाई, अनु जी.
thank you