गुलाम मीडिया Poem by Sukhbir Singh Alagh

गुलाम मीडिया

World Press Freedom Day

आजाद नहीं रहा मैं गुलाम हो चुका हूँ
राजनेताओं के हाथों नीलाम हो चुका हूँ
यूँ तो मैं भी पत्रकार हूँ
पर सच बोलने वाली आवाज़ खों चुका हूँ
ये न्यूज चैनल और अख़बार वाले भी
आज पूरा सच नहीं बताते
चुनाव का मौसम है किसे वोट करू
बस यही सोच रहा हूँ

Friday, May 3, 2019
Topic(s) of this poem: freedom of speech
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