युद्ध
चारोतरफ युद्ध ही युद्ध
बाहार भी अंदर भी
ऐसा जिंदेगी नहीं जाहां युद्ध नहीं
रामायण में युद्ध, महाभारत में युद्ध
गीता में युद्ध उपनिषद में युद्ध
पुराणों में युद्ध धरती पर युद्ध
युद्ध कभी हमें नहीं छोडा हे ना हमने युद्ध को कभी छोडा
इसीको समझाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने रच दिया 700 श्लोक गीता में
मानव न तब समझ सका न अब
आछ्छाई हो या बुराई हो युद्ध चल रहा हे निरतंर
पाप-पुण्य के विच, तुम्हारा-हमारा के विच
मतभेद के कारण युद्ध चारो तरफ
गीता में लिखीत कुरुक्षेत्र केवल कौरव और पांडवों के वीच नहीं है
यह तो प्रबृती और निबृती के बिच है
यह युद्ध काम, क्रोध, लोभ, द्वेष और हिंसा आदि ग्याराह इंद्रियों की प्रबृती है
और बुद्धी, विवेक, ज्ञान, वैराग, आदि निबृती का है
चयन हमारे पास है- युद्ध को विराम करने के लिए
निबृती को अपना कर या प्रबृती बढा कर
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