मुलाकात एक ख़ास करते हैं Poem by Kezia Kezia

मुलाकात एक ख़ास करते हैं

चल री जिंदगी
आज फिर कहीं बैठ कर दो घडी
बाते कुछ आम करते हैं
दो तू कहना
दो मैं कहूँगी
और गुफ्तगू सरेआम करते हैं
चल री जिंदगी
मन से बोझ उतार फेंकते हैं
एकाध तोहमत मैं लगाउंगी
एकाध तू भी लगाना
झगड़ा भी आज खुले आम करते हैं
चल री जिंदगी
फिर छत पर लेट कर आसमान निहारते हैं
कुछ तारे मैं गिनूँगी
कुछ तू भी गिनना
आसमान से भी एक मुलाकात खास करते हैं
चल री जिंदगी
फिर चिड़िया उड़ के खेल में बाज़ी लगाते हैं
अपनी चिड़िया मैं उड़ाउंगी
अपनी मैना तू उड़ाना
आज फिर जीत कर तुझे गुलाम बनाते हैं
चल री जिंदगी
गीत वही पुराना गुनगुनाते हैं
तान तू छेड़ना
बोल मैं सजाऊँगी
फिर एक शाम से सुरीले पलों को चुराते हैं
चल री जिंदगी
आज फिर कहीं बैठ कर दो घडी
बाते कुछ आम करते हैं
तू भी आम है
मैं भी आम हूँ
पर मुलाकात एक ख़ास करते हैं
***

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