कुर्बान Poem by Sukhbir Singh Alagh

कुर्बान

सरहद पर खड़ा जवान।
चेहरे पर उसकी मुस्कान।
देश प्रेम के निशान।
भारत के लिए कुर्बान।
उनकी ये दास्तान।
क्या कहेगी मेरी जुबान।
घर परिवार छोडकर
देश के लिए लड़ना
नहीं होता इतना आसान।

Wednesday, January 16, 2019
Topic(s) of this poem: love,soldiers
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