मेरा चाँद 🌙 Poem by KAVITA SINGH

मेरा चाँद 🌙

आज कल चाँद 🌙 मेरे छत पर आ जाया करता है....

कुछ देर बैठता है मेरे साथ और कुछ ताने सुनाया करता है, बड़ी सिकायत है उसे मुझसे मेरी गलतियाँ मुझे गिनाया करता है।

आज कल चाँद 🌛 मेरे छत पर आ जाया करता है..।

कभी रुठता है मुझसे और कभी खुद ही मान जाया करता है
कभी नगमें तो कभी अपने किस्से सुनाया करता है।

आज कल चाँद🌜 मेरे छत पर आ जाया करता है...

कभी पूरा 🌝तो कभी टुकड़ों 🌙 में जगमगाया करता है
अपनी रौशनी से मुझे भी रौशन कर जाया करता है
न देखूँ उसे तो गुस्से से बादलों ☁️में छुप जाया करता है

आज कल चाँद 🌙मेरे छत पर आ जाया करता है......
💕🌙🌛🌜🌝💕

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