चमकते चाँद को हम आईना ऐसे दिखाते हैं
उधर वो मुस्कुराता है, इधर हम मुस्कुराते हैं
दरद उसका समझते हैं, उधारी के उजालों पर
तभी खामोश रहते है, औ' अपना दिल जलाते हैं
किताबें रूठ जाती हैं कभी हमसे मचल कर के
समझदारी किनारे रख, किसी से दिल लगाते हैं
बता कर बेवफा मुझको, कत्ल करते हैं हँस-हँस के
कहो गर छोड़ दो अब तो, वो मुझ पर हक जताते हैं
चलो अब लौट चलते हैं, हसीं सपनों की दुनिया से
छतों पर कुछ परिंदों को "ललित" दाना खिलाते हैं
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