छोटी सी नादानी थी
प्यारी एक कहानी थी
जालिम बड़ा जमाना था
बस गर्दन कट जानी थी
प्रेम प्रेम का उत्तर है
उसने ये ही सीखा था
वो तो जोगी तेरा था
धूनी वहीं रमानी थी
सारे जहां की चालाकी
उसकी पीठ के पीछे थी
वो कैसा अनजाना था
तू कैसी दीवानी थी
लिये मिलन की आशाएं
आँखें सपने बुनती थीं
नहीं किसी का कोई डर था
बड़ी हसीन जवानी थी
फूल प्यार के बरसा कर
चले मिटाने नफरत को
नफरत भी क्या कुछ कम थी
वो कैसे मिट जानी थी
वो मय का महमूद भले हो
या कोई रुखसाना हो
आशिक तो काफिर होता है
उसकी जान तो जानी थी
मुझे मिली कल पगली सी
सूखी आंखों में प्यार लिए
जिसके अपने अपनो ने
दे दी उसकी कुरबानी थी
आँचल में केसरिया बालम
सूखा हुआ था उस दिन से
जिस दिन मिलन की बेला में
खून सनी मरजानी थी
उसकी आंखें कहती हैं
कि प्रेम अभी भी जिंदा है
जिसको मारा जिस्म था वो
उसकी सांस तो फानी थी
जिस्मों को मारोगे तुम
उससे कैसे निपटोगे
जिसने प्यार बनाया है
तुमने उससे ठानी थी
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