उम्र... बिना रुके सफर कर रही है,
और हम...ख़्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं.! !
ख़्वाहिशें यूँही बढ़ती जा रही है,
और उम्र यूँही घटती जा रही है।
लेकिन हम वही के वही खड़े हैं
Hahaha bahut khoob. Khwaishon ko pankh laga lijiye raftar pakadne me madad miljayegi. Good Tanka.
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ख्वाहिशें और ख्व़ाब दोनों जरुरी हैं ज़िन्दगी मैं. उनमे और वास्तविकता में पुल बनाना जरुरी है. इमानदार कोशिश और मेहनत उन्हें पाने या पूरा करने के लिए होना जरुरी है. यह रचना हमें सोचने को मजबूर करती है व प्रेरित करती है. धन्यवाद.