Wednesday, December 30, 2020

मशवरा ए तस्कीन Comments

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तोहमत की आड़ में ज़हनसीब,
अटखेलियां कम ही रखना इकरार में,
भाँप के गुरूर में कोहरे से ना टकराना,
लुप्त हो जाओगे सर्द बाज़ार में।
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Tarun Badghaiya
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