धोखे में रखा या दुनियाँ से डरती थी
दिल नहीं मानता वो मुझसे प्यार नहीं करती थी
अब भी याद है उस गाँव में मिनी बसें चलती थी
भूल ना पाया गलियों में ईंटें कितनी पक्की लगती थी
नीले रंग की खिड़की आज भी खुली दिखती है
आंखें मलती सूरत उसकी भोली दिखती है
पुरे-पुरे टाईम के साथ वहाँ आकर खड़ती थी
दिल नहीं मानता वो मुझसे प्यार नहीं करती थी
देखने जाती थी वो हर साल दिवाली
सीमा की तरह करता था उसकी रखवाली
जब भी मिलती मुझको करती थी सलूट
आँख के आगे घूम रहा है उसका काले रंग का सूट
दोनों हाथों से उड़ती चुन्नी पकड़ती थी
दिल नहीं मानता वो मुझसे प्यार नहीं करती थी
है अफसोस इश्क को सीरे चढ़ा ना सका मैं
लव लेटर लिखा रह गया उसे पकड़ा ना सका मैं
हर बारी परपोज वो अपने आप क्यों करती
"राज" ड़र गया मर जाऊँगा जो उसने ना करदी
बोल सके ना कुछ पर नजरें नजरों को पढ़ती थी
धोखे में रखा या दुनियाँ से डरती थी
दिल नहीं मानता वो मुझसे प्यार नहीं करती थी
राज स्वामी
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