इश्क बदनाम हो गया Poem by Raj Swami

इश्क बदनाम हो गया

Rating: 5.0

कितनाकुछसहजातेहैं हम
इश्क में कुछ कह नहीं पाते हैं हम

लाख जतन करते है फिर भी
तिल-तिल कर मर जाते हैं हम

कितना मुश्किल है दिल जीतना
बिन सोचे खुद से लड़ जाते हैं हम

हो जाती है बगावत दुनियाँ से
हर घड़ी हर पल गम खाते हैं हम

बिकती है मोहब्बत आजकल यहाँ
बाजार से प्यार खरीद कर लाते हैं हम

इश्क बदनाम हो गया है अब 'राज '
बस यही सबको समझाते हैं हम

बचा सको तो बचा लो खुद को यारों
बिन सोचे अपना घर जलाते हैं हम

राज स्वामी

इश्क बदनाम हो गया
Tuesday, May 8, 2018
Topic(s) of this poem: care,love and dreams,love and life,respect
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
Gazal write by Raj swami
COMMENTS OF THE POEM
Jean Larson 10 May 2018

Looking forward to the English 💕🙏

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Jean Larson 10 May 2018

So glad. Can’t wait to see the translation.

0 0 Reply
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