कितनाकुछसहजातेहैं हम
इश्क में कुछ कह नहीं पाते हैं हम
लाख जतन करते है फिर भी
तिल-तिल कर मर जाते हैं हम
कितना मुश्किल है दिल जीतना
बिन सोचे खुद से लड़ जाते हैं हम
हो जाती है बगावत दुनियाँ से
हर घड़ी हर पल गम खाते हैं हम
बिकती है मोहब्बत आजकल यहाँ
बाजार से प्यार खरीद कर लाते हैं हम
इश्क बदनाम हो गया है अब 'राज '
बस यही सबको समझाते हैं हम
बचा सको तो बचा लो खुद को यारों
बिन सोचे अपना घर जलाते हैं हम
राज स्वामी
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