ज़रा नफरत की ये दीवार,
हटा कर तो देखो,
सारी दुनियाँ में तुम्हें,
ख़ुदा नजर आएगा ! !
अपनी जाति का अभिमान,
भुला कर तो देखो,
सारी कायनात से तुम्हें,
प्यार हो जाएगा! !
ज़रा धर्म के कुछ,
तुम अर्थ तो सीखो,
इंसान बनकर कैसे जीना,
तभी समझ आएगा! !
कोई भी धर्म हमे,
नफरत नहीं सिखाता
"सुखबीर" तू ये बात
कब समझ पाएगा! !
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