क्यों इतना ख़ामोश हो कुछ तो बताओ तुम Poem by Ahatisham Alam

क्यों इतना ख़ामोश हो कुछ तो बताओ तुम

दर्द जो दिल में है चेहरे की हँसी से उसको ना छुपाओ तुम
क्यों इतना ख़ामोश हो कुछ तो बताओ तुम।

ये बात और है कि मैं चाह के भी कुछ नही कर सकता हूँ
पर तेरे हर ज़ख्म की टीस पर आह भर सकता हूँ
कुछ बोल भी दो अब मान भी जाओ तुम
क्यों इतना ख़ामोश हो कुछ तो बताओ तुम।

तेरे लिये जी भले ही ना सकूँ पर मर सकता हूँ
तेरे दर्द को खुद पे महसूस कर सकता हूँ
अब होठों को सीकर यूँ ना सताओ तुम
क्यों इतना ख़ामोश हो कुछ तो बताओ तुम।

क्यों इतना ख़ामोश हो कुछ तो बताओ तुम
Wednesday, March 7, 2018
Topic(s) of this poem: love
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