जीवन के मरुथल में एक दिन
प्यासे अधरों की पीड़ा सुन
सावन सा दरियादिल नेहा
बरसाओगी लगता है ।
तुम आओगी लगता है।।
जीवन रण में जब सब खोकर
लौटूंगा घावों को लेकर
प्यारे हाथों से मस्तक को
सहलाओगी लगता है।
तुम आओगी लगता है।।
खुशियाँ फूलों सी बरसाकर
प्रेम प्यार से जीवन भरकर
हँसते हँसते यूं ही अचानक
खो जाओगी लगता है।
तुम आओगी लगता है।।
थक जायेगी जिस दिन काया
सोचूंगा क्या खोया पाया
बीते जीवन की यादों में
मुस्काओगी लगता है।
तुम आओगी लगता है।।
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