तुम आओगी लगता है Poem by Lalit Kaira

तुम आओगी लगता है

जीवन के मरुथल में एक दिन
प्यासे अधरों की पीड़ा सुन
सावन सा दरियादिल नेहा
बरसाओगी लगता है ।
तुम आओगी लगता है।।

जीवन रण में जब सब खोकर
लौटूंगा घावों को लेकर
प्यारे हाथों से मस्तक को
सहलाओगी लगता है।
तुम आओगी लगता है।।

खुशियाँ फूलों सी बरसाकर
प्रेम प्यार से जीवन भरकर
हँसते हँसते यूं ही अचानक
खो जाओगी लगता है।
तुम आओगी लगता है।।

थक जायेगी जिस दिन काया
सोचूंगा क्या खोया पाया
बीते जीवन की यादों में
मुस्काओगी लगता है।
तुम आओगी लगता है।।

Monday, December 25, 2017
Topic(s) of this poem: death,love and life,peace
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Lalit Kaira

Lalit Kaira

Binta, India
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