Thursday, December 21, 2017

भारत के सरकार ना, घन-चक्कर बन गये हैं Comments

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झुठ बोल, सच सा चमक रहे इतने कि
लगता है हरिश्चंद्र के पुत्तर बन गये हैं
किचड़ में नहाये मला-बाबा-वाला-साबुन कि
खुशबू तो शरीर के जैसे भीतर बन गये हैं
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Ajay Kumar Adarsh
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Ajay Kumar Adarsh

Ajay Kumar Adarsh

Khagaria (Bihar) / INDIA
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