Monday, December 18, 2017

हे री गोरी! कहाँ चली तू, Comments

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हे री गोरी! कहाँ चली तू,
कर पूरा साज श्रृँगार ।
सुभग बसन आभूषण साजे,
चमकते-दमकते उरहार।।
...
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Dr. Navin Kumar Upadhyay
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